Friday, 29 May 2020

मैं और तुम

मैं एक छोटा सा तारा हुं, तुम सारा आसमान हो 
मैं एक जमिन, तुम पुरा ब्रम्हाणड हो 
मैं अज्ञानी, तुम ज्ञान का भंडार हो 
मैं नासमझ ,तुम कितने समझदार हो
मैं सवाल हुं कहीं , तो तुम उसका जवाब हो 
मैं कभी ग़म तो तुम खुशी का खजाना हो 
मैं कलम , तुम उससे लिखि कविता हो 
मैं अल्हड़, तुम एक सुलझे हुए इंसान हों 
मैं नदी, तुम उसका किनारा हो 
मैं एक शांत सी हवा, तो तुम उसमें समाया हुआ एहसास हो 
मेरी जिंदगी का हसिन राग हो ,
तुमसे ही तो दिन है मेरा, तुमसे ही हर रात है 
जिंदगी को एक हसिन मोड़ दे, ऐसे फरिश्ते से मेरे दिन की शुरुआत है ।

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